हमारा परिचय
खेती-बाड़ी है,
भारत की मर्यादा,
शिक्षा साड़ी है।
-जैन दिगंबराचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
चल-चरखा महिला प्रशिक्षण एवं रोजगार केंद्र, आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के वसुधैव कुटुंबकम् की भावना से उपकृत है, यह केंद्र कला कौशल, भारतीय संस्कृति व आत्मनिर्भरता का अनूठा संगम है। यहां हथकरघा एवं हस्तशिल्प का प्रशिक्षण प्रदान कर महिलाओं को रोज़गार के नए आयाम, स्वस्थ, सुरक्षित व अहिंसक जीवन का आधार दिया जाता है एवं उनके अधूरे सपनों को पूर्ण करके उनकी संवेदनाओं का पोषण किया जाता है।
हथकरघा, हस्तशिल्प भौतिक अशांति की मची हुई दौड़ में शांति का आगाज़ है।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाते हुए प्रकृति रक्षक रोज़गार के साधन उपलब्ध कराना एवं हथकरघा, हस्तशिल्प निर्मित स्वास्थ्यवर्धक वस्तुओं का उत्पादन करना ही चल-चरखा का उद्देश्य है।
हस्तकलाओं के संरक्षण, संवर्धन एवं विकास हेतु चल-चरखा केंद्र में आरी, ज़रदोज़ी, मेक्रम, काष्ठ शिल्प, जूट, गोबर शिल्प, मिटटी के बर्तन आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे भारत की पारंपरिक विरासत और कला सुरक्षित रहे |
दिगम्बराचार्य श्री 108 विद्यासागरजी महाराज के आशीर्वाद से 9 मई 2016 को चंद्रगिरी एवं जबलपुर में प्रथम बार चल-चरखा महिला प्रशिक्षण एवं रोज़गार केंद्र का शुभारम्भ हुआ। चल-चरखा तब से अब तक अपनी इस यात्रा में नित-नवीन प्रयासों के द्वारा अनवरत गतिमान है।
चल-चरखा महिला प्रशिक्षण एवं रोज़गार केन्द्र में प्रत्येक महिला शाकाहार व सात्विक जीवन का संकल्प लेकर कार्यरत हैं। हथकरघा के वस्त्र मात्र धागों का ताना- बाना नहीं, बल्कि महिलाओं के बुने हुए सपने हैं।
चलचरखा द्वारा भारत के विभिन्न स्थानों जैसे जबलपुर, शिरपुर, हमीरपुर आदि में ग्रामीण महिलाओं को हथकरघा और हस्तशिल्प का प्रशिक्षण तथा रोजगार प्रदान करके आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।
भारत की पारंपरिक विरासत, विलुप्त हो रही हस्तकलाओं के संरक्षण, संवर्धन एवं विकास हेतु चलचरखा केंद्र में आरी, ज़रदोज़ी, मेक्रम, काष्ठ शिल्प, जूट, गोबर शिल्प आदि का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
दिगम्बराचार्य श्री 108 विद्यासागरजी महाराज के आशीर्वाद से 9 मई 2016 को चंद्रगिरी एवं जबलपुर में प्रथम बार चल-चरखा महिला प्रशिक्षण एवं रोज़गार केंद्र का शुभारम्भ हुआ। चल-चरखा तब से अब तक अपनी इस यात्रा में नित-नवीन प्रयासों के द्वारा अनवरत गतिमान है।
हमारे उत्पाद पूर्ण अहिंसक एवं पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया से निर्मित है। महिलाओं की मेहनत और संवेदनाओं से परिपूरित ये उत्पाद हमें भारतीय परंपरा और अपनेपन से जोड़ते हैं।