प्रेरणा स्त्रोत
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज प्राचीन भारतीय संत परंपरा के जीवंत स्वरुप है।
वीतराग परमात्मा बनने के मार्ग पर चलने वाले इस पथिक का प्रत्येक क्षण जागरूक व आध्यात्मिक आनंद से भरपूर होता है। उनका जीवन विविध आयामी है। उनके विशाल व विराट व्यक्तित्व के अनेक पक्ष हैं तथा सम्पूर्ण भारतवर्ष उनकी कर्मस्थली है। उनका बाह्य व्यक्तित्व सरल, सहज, मनोरम है किंतु अंतरंग तपस्या में वे वज्र से कठोर साधक हैं। इस युग में ऐसे संतों के दर्शन अलभ्य है। ऐसे महापुरुष प्रकाश में नहीं आते, आना भी नहीं चाहते, प्रकाश प्रदान में ही उन्हे रस आता हैं। उनका कथन किसी श्लोक से कम नहीं, उनका लेखन किसी दर्शन से कम नहीं, और उनका जीवन किसी शास्त्र से कम नहीं जिनका हाथ ही पवित्र पात्र है, पृथ्वी ही जिनकी शैय्या है जिन्हें अप्राप्त की चाह नहीं और प्राप्त का मोह नहीं जो दिगंबर है, जिनके रोम रोम में पुरुषार्थ, परोपकार का सागर हिलोरे लेता है।
ऐसे आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के अहिंसा के सिद्धांतों का सक्रीय स्वरुप है चल-चरखा…..
आचार्य श्री जी सर्वतोन्मुखी व्यक्तित्व के धनी प्रखर प्रतापी संत हैं। ‘पुरुषार्थ करो अंतरंग सुधारो’ से सूत्र का शंखनाद करने वाले समाज सुधारक हैं। ‘हित का सृजन अहित का विसर्जन’ जैसे शिक्षा सूत्र देने वाले शिक्षाशास्त्री हैं। ‘अतिव्यय नहीं, मितव्यय करो, धन का समुचित वितरण करो’ महामंत्र के उद्घोषक अर्थशास्त्री हैं।
कुशल संघ संचालक
आचार्य श्री जी का गुरुकुल:-
120 मुनि
172 आर्यिका
64 क्षुल्लक (साधक)
56 ऐलक (साधक)
1000+ ब्रह्मचारी – ब्रह्मचारिणियाँ
कुशल संघ संचालक
आचार्य श्री जी का गुरुकुल:-
120 मुनि
172 आर्यिका
64 क्षुल्लक (साधक)
56 ऐलक (साधक)
1000+ ब्रह्मचारी – ब्रह्मचारिणियाँ
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (उ.प्र.), राष्ट्रसन्त तुकड़ोजी महाराज विद्यापीठ (महाराष्ट्र), सौराष्ट्र विश्वविद्यालय (गुजरात), अटलबिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय (म.प्र.), आदि के एम.ए./एम.फिल.-हिन्दी तथा अंग्रेजी आदि के विविध पाठ्यक्रमों में भी ‘मूकमाटी’ महाकाव्य सम्मिलित किया जा चुका है।
अद्वितीय आध्यात्मिक कवि
आचार्य श्री जी ने न केवल हिन्दी भाषा में रचनाएँ की हैं अपितु संस्कृत, प्राकृत, कन्नड़, बंगला, अंग्रेजी भाषा में भी काव्य सृजन किया है। आचार्य श्री जी 14 भाषाओं के ज्ञाता भी हैं। महामनीषी, प्रज्ञासम्पन्न गुरुवर की कलम से मूकमाटी जैसे क्रान्तिकारी-आध्यात्मिक-महाकाव्य का सृजन हुआ है।
आचार्य श्री जी द्वारा रचित साहित्य-
‘मूकमाटी’ महाकाव्य की विषयवस्तु पर डी. लिट्., पी.एच.डी,एम. फिल आदि के शोध प्रबंध रूप में लगभग ५० शोधकार्य हो चुके हैं।
युगप्रवर्तक सर्वोदयी संत के
लोक कल्याण की भावना से अनुप्राणित आशीर्वाद की फलश्रुति …
प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ
संस्कृति एवं संस्कार को सुरक्षित रखने हेतु गुरुकुल पद्धति पर आधारित पाँच कन्या आवासीय विद्यालय “प्रतिभास्थली जबलपुर-मध्य प्रदेश, डोंगरगढ़-छत्तीसगढ, रामटेक-महाराष्ट्र, ललितपुर-उत्तर प्रदेश , इन्दौर-मध्य प्रदेश”।
पूर्णायु आयुर्वेद चिकित्सालय
भारतीय़ चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पूर्णायु आयुर्वेद चिकित्सालय एवं अनुसंधान विद्यापीठ, जबलपुर में संचालित है। पूर्णायु महाविद्यालय में बालिकाओं को स्नातक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण आयुर्वेद चिकित्सा शिक्षा प्रदान की जाती है।
पाषाण जिनालय निर्माण
आचार्य श्री जी की प्रेरणा से जीवों को स्वयं की पहचान कराने वाले अनेक भव्य जिनालयों का निर्माण हुआ है। जो भारतीय वास्तु तथा शिल्प के अद्वितीय उदाहरण हैं। जैसे – कुण्डलपुर के बड़े बाबा का विशाल पाषाण मंदिर, नेमावर में सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र, अमरकंटक में सर्वोदय तीर्थ आदि।
दयोदय गौशाला
दयोदय के अंतर्गत मूक प्राणियों के संरक्षणार्थ 100 से भी अधिक गौशालाएँ संचालित हैं। इन सभी गौशालाओं में अपंग, बूढ़ी, अशक्त, कसाइयों से छुड़ाए गए गोवंश को आश्रय और अभयदान मिलता है।
चल चरखा
भारत की महिलाओं को अहिंसक स्वावलंबन का साधन प्रदान करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए आचार्य प्रवर की आशीष छांव में विभिन्न राज्यों में १५ स्थानों में चल-चरखा महिला प्रशिक्षण केंद्र संचालित हो रहें हैं। अपनापन, श्रमदान आदि हथकरघा केंद्र भी पुरुषवर्ग के लिए संचालित हो रहे हैं।
शांतिधारा दुग्ध योजना
शांतिधारा दुग्ध योजना, भारतीय करुणा को पुनर्जीवित करने का एक प्रयोग है। यह 500 देशी गिर गौवंश का घर है। यहाँ जन्म से मृत्यु तक गौवंश को एक परिवार के सदस्य की तरह ही रखा जाता है। शांतिधारा दुग्ध योजना के उत्पाद दया और करुणा के सिद्धांत पर आधारित पूर्ण रूप अहिंसक हैं।
युगप्रवर्तक सर्वोदयी संत के
लोक कल्याण की भावना से अनुप्राणित आशीर्वाद की फलश्रुति …
प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ
संस्कृति एवं संस्कार को सुरक्षित रखने हेतु गुरुकुल पद्धति पर आधारित पाँच कन्या आवासीय विद्यालय “प्रतिभास्थली जबलपुर-मध्य प्रदेश, डोंगरगढ़-छत्तीसगढ, रामटेक-महाराष्ट्र, ललितपुर-उत्तर प्रदेश , इन्दौर-मध्य प्रदेश”।
पूर्णायु आयुर्वेद चिकित्सालय
भारतीय़ चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पूर्णायु आयुर्वेद चिकित्सालय एवं अनुसंधान विद्यापीठ, जबलपुर में संचालित है। पूर्णायु महाविद्यालय में बालिकाओं को स्नातक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण आयुर्वेद चिकित्सा शिक्षा प्रदान की जाती है।
पाषाण जिनालय निर्माण
आचार्य श्री जी की प्रेरणा से जीवों को स्वयं की पहचान कराने वाले अनेक भव्य जिनालयों का निर्माण हुआ है। जो भारतीय वास्तु तथा शिल्प के अद्वितीय उदाहरण हैं। जैसे – कुण्डलपुर के बड़े बाबा का विशाल पाषाण मंदिर, नेमावर में सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र, अमरकंटक में सर्वोदय तीर्थ आदि।
दयोदय गौशाला
दयोदय के अंतर्गत मूक प्राणियों के संरक्षणार्थ 100 से भी अधिक गौशालाएँ संचालित हैं। इन सभी गौशालाओं में अपंग, बूढ़ी, अशक्त, कसाइयों से छुड़ाए गए गोवंश को आश्रय और अभयदान मिलता है।
चल चरखा
भारत की महिलाओं को अहिंसक स्वावलंबन का साधन प्रदान करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए आचार्य प्रवर की आशीष छांव में विभिन्न राज्यों में १५ स्थानों में चल-चरखा महिला प्रशिक्षण केंद्र संचालित हो रहें हैं। अपनापन, श्रमदान आदि हथकरघा केंद्र भी पुरुषवर्ग के लिए संचालित हो रहे हैं।
शांतिधारा दुग्ध योजना
शांतिधारा दुग्ध योजना, भारतीय करुणा को पुनर्जीवित करने का एक प्रयोग है। यह 500 देशी गिर गौवंश का घर है। यहाँ जन्म से मृत्यु तक गौवंश को एक परिवार के सदस्य की तरह ही रखा जाता है। शांतिधारा दुग्ध योजना के उत्पाद दया और करुणा के सिद्धांत पर आधारित पूर्ण रूप अहिंसक हैं।
भारतीय संस्कृति के पुरोधा महापुरुष
सर्वोदयी संत की देशना –
- देश का नाम 'इण्डिया' नहीं ‘भारत' हो।
- बैंक के मायाजाल से बचें |
- भारत में भारतीय शिक्षा पद्धति लागू हो।
- भारतीय शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो।
- अंग्रेजी में नहीं, भारतीय भाषा में सरकारी एवं न्यायिक कार्य हो।
- छात्र-छात्राओं की शिक्षा पृथक्-पृथक् हो।
- भारतीय प्रतिभाओं का पलायन रोका जाए।
- दुकानों, कार्यालयों व सरकारी भवनों में लगे साइन बोर्ड हिन्दी में होना चाहिए।
- फ़ास्ट फ़ूड नहीं पास्ट फ़ूड अर्थात भारतीय पाक कला को अपनाएं |
युगद्रष्टा से मिली दृष्टि
माननीय श्री नरेंद मोदी जी
वर्तमान प्रधानमंत्री, भारत सरकार
माननीय श्री रामनाथ कोविंद जी
पूर्व राष्ट्रपति, भारत
डॉ. के. कस्तूरीरंगन
पूर्व इसरो (ISRO) प्रमुख, राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 ड्राफ्ट समिति के अध्यक्ष
श्री अमित शाह
केन्द्रीय गृहमंत्री, भारत सरकार
अलेक्सअंद्रे ज़िएगलेर
फ्रांस के राजदूत
श्री अटल बिहारी बाजपेयी
पूर्व प्रधानमंत्री, भारत सरकार
1999, गोम्मटगिरी इन्दौर
श्री भैरोसिंह शेखावत
पूर्व उपराष्ट्रपति, भारत सरकार
श्री मोहन जी भागवत
संघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
श्री अखिलेश यादव
पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश
श्री राजनाथ सिंह
केंद्रीय गृहमंत्री, भारत सरकार
श्री दिग्विजय सिंह
पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश
श्रीमती स्मृति ईरानी
केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार
अनियत विहारी का अंतिम विहार
18 फरवरी 2024
कितना लिखा जाये आपके बारे में शब्द बौने और कलम पंगु हो जाती है, लेकिन भाव विश्राम लेने का नाम ही नहीं लेते। राष्ट्र, समाज एवं प्राणी मात्र के आप शुभंकर हैं। मोक्षाभिलाषिओं के लिए आप शीतल व निर्मल जल की धार हैं। आपका आभामंडल ऐसा है कि मुख से शब्द भी नहीं निकलते और दुनिया के कोने-कोने से भक्त उमड़ पड़ते हैं। अनेक बार दर्शनों के पश्चात् भी आपके दर्शन की प्यास लगी ही रहती है। आपको क्या कहूँ…! आप तो गतिशील साधक दिगम्बरत्वरूपी आकाश में विचरण करने वाले एक आध्यात्मिक सूर्य हैं । आप देश, काल, जाति, धर्म की सीमाओं से परे ऐसे विराट व्यक्तित्व हैं जिन्हें यह कालखंड तीर्थंकर-सम भगवन्त के रूप में याद रखेगा।