हमारा प्रयास
जीना तो चाहूं,
जीना चढ़ने हेतू,
यू ही जीना क्या।
-जैन दिगंबराचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
कार्यशैली
“सात्विक विचार, सात्विक पहनावा, सात्विक भोजन एवं सात्विक जीवन-शैली का समन्वय“
चल-चरखा महिला प्रशिक्षण केंद्रो में प्रतिभा मंडल की प्रशिक्षित, भारतीय कलाओं में निष्णात, बाल ब्रह्मचारिणी बहनों के द्वारा, ग्रामीण महिलाओं को अंबर चरखा, हथकरघा, कालीन निर्माण, आरी-ज़रदोज़ी, हस्तशिल्प आदि का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है।
प्रशिक्षण केन्द्र में प्रत्येक महिला शाकाहार व सात्विक जीवन का संकल्प लेकर कार्य करती है।
हथकरघा-हस्तशिल्प प्रशिक्षण ग्रामीण और आदिवासी समुदायों में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक है। यहाँ महिलाओं की रचनात्मकता, उद्यमशीलता एवं उनके संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास किया जाता है।
‘आरी कढ़ाई’ सांस्कृतिक महत्व रखती है क्योंकि यह उन क्षेत्रों की विरासत और परंपराओं को दर्शाती है जहां इसकी उत्पत्ति हुई थी। आरी कढ़ाई में उपयोग किए जाने वाले रूपांकन और पैटर्न अक्सर भारतीय संस्कृति और पौराणिक कथाओं के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक होते हैं, जो इसे देश की कलात्मक विरासत का एक अभिन्न अंग बनाते हैं।
आरी-जरदोसी का कार्य सूक्ष्म एवं एकाग्रता का कार्य है। इसमें एक-एक मोती को चुनना उसे आरी की सुई में पिरोकर फिर कपड़े में टांका जाता है। तैयार पैनल को कटिंग, पेस्टिंग, सिलाई, आदि पड़ाव से गुज़रकर कपड़े द्वारा बैग, साड़ी, लहंगा आदि तैयार होते है।
गाय के गोबर से बने पदार्थ के फायदे
- पर्यावरण के अनुकूल
- बायोडिग्रेडेबल
- मजबूत और टिकाऊ
- वास्तु के अनुसार
- सकारात्मक उर्जा का केंद्र
- मैग्नेटिक किरणों का अच्छा शोषक होता है गोबर , जिससे इन किरणों से होने वाले नेगेटिव इफ़ेक्ट से हमारी शरीर को सुरक्षित रखता है
अम्बर चरखा पर सूत की कताई
“खादी- यह वस्त्र नहीं विचार है।” -महात्मा गाँधी जी
अम्बर चरखा पर सूत का कातना एक प्राचीन तकनीक है, जिसमें सूत को धागों में बांधकर चरखा के माध्यम से काता जाता है। और फिर इस धागे से बने हुए वस्त्र को ही खादी कहा जाता है। यह वस्त्र कोमल होता है एवं गर्मी में ठंडी और ठंडी में गर्मी का एहसास कराता है।
हथकरघा पर निर्मित अहिंसक सूती वस्त्र हज़ारों धागों के ताने-बाने से मिलकर बनता है | महिला बुनकरों को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोज़गार दिया जाता है एवं जीवन यापन का एक साधन। हथकरघा पर बने वस्त्र न केवल एक उत्पाद है, बल्कि यह समाज में सामाजिक और आर्थिक सुधार का एक साधन भी है। यह वस्त्र १००% सूती होने से आरोग्यप्रद होते है और मटन टेलो की कोटिंग न होने से पूर्णतःअहिंसक।
मिट्टी के बर्तनों के जबरदस्त स्वास्थ्य लाभ एवं प्राकृतिक लाभ होते हैं। मिट्टी के उत्पादों की खनिज संरचना और छिद्रपूर्ण प्रकृति भी भोजन के स्वाद को बढ़ा देती है एवं पानी को ठंडा रखती है । मिट्टी में किटन नामक तत्व होते हैं जो विषैले पदार्थों को शोषित करते हैं। इससे खाद्य सुरक्षित रहता हैं।
चल-चरखा अग्नि मृदा शिल्प भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने की अपनी पहल पर गर्व है। हम मिट्टी के उत्पाद और मिट्टी के बर्तन बनाते हैं जो स्वस्थ, प्राकृतिक जीवन जीने के साथ-साथ हमारी समृद्ध परंपरा को भी पुनर्जीवित करते हैं।
ब्लॉक प्रिंटिंग कपड़ा छपाई की विधियों में से एक है जो कि बहुत ही प्राचीन और प्रसिद्ध है। इस प्रकार की छपाई में, उत्कृष्ट कला और धैर्य की आवश्यकता होती है। इसमें हाथ से बने लकड़ी के ब्लॉकों का उपयोग किया जाता है, जो विभिन्न पैटर्न और डिज़ाइन्स को कपड़े पर मुद्रित करने के लिए उपयोग होते हैं।