हमारा प्रयास

जीना तो चाहूं,

जीना चढ़ने हेतू,

यू ही जीना क्या।

-जैन दिगंबराचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

कार्यशैली

“सात्विक विचार, सात्विक पहनावा, सात्विक भोजन एवं सात्विक जीवन-शैली का समन्वय

चल-चरखा महिला प्रशिक्षण केंद्रो में प्रतिभा मंडल की प्रशिक्षित, भारतीय कलाओं में निष्णात, बाल ब्रह्मचारिणी बहनों के द्वारा, ग्रामीण महिलाओं को अंबर चरखा, हथकरघा, कालीन निर्माण, आरी-ज़रदोज़ी, हस्तशिल्प आदि का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। 

प्रशिक्षण केन्द्र में प्रत्येक महिला शाकाहार व सात्विक जीवन का संकल्प लेकर कार्य करती है।

हथकरघा-हस्तशिल्प प्रशिक्षण ग्रामीण और आदिवासी समुदायों में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक है। यहाँ महिलाओं की रचनात्मकता, उद्यमशीलता एवं उनके संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास किया जाता है।

कालीन निर्माण प्रक्रिया
गोबर शिल्प उत्पाद की विशेषता

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