Description
पारंपारिक कला , गोबर के कंडे के ऊपर – यह भारत की ग्रामीण संस्कृति को दर्शाता है |
- सकारात्मक उर्जा का स्रोत
- जैविक, पर्यावरण के अनुकूल
- 100% बायोडिग्रेडेबल
- प्रदूषण शोषक
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पारंपारिक कला , गोबर के कंडे के ऊपर – यह भारत की ग्रामीण संस्कृति को दर्शाता है |
Weight | 0.620 kg |
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चल-चरखा मात्र प्रशिक्षण केंद्र ही नहीं
अपितु यह एक चिंतन है राष्ट्रहित चिंतक जैनाचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज का,
साधन है स्वावलंबी स्वाश्रित जीवन का,
दर्शन है सत्य और अहिंसा का
एवं
निर्माण है ‘सोने की चिड़िया’ कहलाने वाले समृद्ध आत्मनिर्भर भारत का…
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